तुम कहते हो-
एक ईश्वर वह है जिसने हमें बनाया।
एक ईश्वर वह है जिसे हमने बनाया।
इसका क्या मतलब हुआ ?
हमें बनाया मतलब सिर्फ़ मुझे या आपको !?
जिसने सारी दुनिया बनाई।
जिसने सारी दुनिया बनाई, उसकी दुनिया में आगे जो भी बनेगा क्या उसकी सहमति के, उसके चाहे बिना बनेगा !?
चारों तरफ़, तरह-तरह के भक्त, साकार और निराकार, धार्मिक और धर्मनिरपेक्ष, क़िताबें और अख़बार, टीवी और फ़िल्में, यही तो बांच रहे हैं कि ‘उसकी मर्ज़ी के बिना कुछ नहीं होता’।
जब उसकी मर्ज़ी के बिना हम नहीं हो सकते तो उसकी मर्ज़ी के बिना वह दूसरा ईश्वर कैसे हो सकता है जिसे हमने बनाया ?
बात बड़ी साफ़ है।
या तो दोनों ईश्वर झूठे हैं या दोनों सच्चे हैं। या तो दोनों हमने बनाए हैं या दोनों ख़ुद बने हैं।
या तो दोनों ख़ुद बने हैं या दोनों किसी चालू आदमी की बदमाशी हैं।
या तो दोनों हैं या कोई भी नहीं है।
अब क्या कहते हो ?
-संजय ग्रोवर
27-02-2016
एक ईश्वर वह है जिसने हमें बनाया।
एक ईश्वर वह है जिसे हमने बनाया।
इसका क्या मतलब हुआ ?
हमें बनाया मतलब सिर्फ़ मुझे या आपको !?
जिसने सारी दुनिया बनाई।
जिसने सारी दुनिया बनाई, उसकी दुनिया में आगे जो भी बनेगा क्या उसकी सहमति के, उसके चाहे बिना बनेगा !?
चारों तरफ़, तरह-तरह के भक्त, साकार और निराकार, धार्मिक और धर्मनिरपेक्ष, क़िताबें और अख़बार, टीवी और फ़िल्में, यही तो बांच रहे हैं कि ‘उसकी मर्ज़ी के बिना कुछ नहीं होता’।
जब उसकी मर्ज़ी के बिना हम नहीं हो सकते तो उसकी मर्ज़ी के बिना वह दूसरा ईश्वर कैसे हो सकता है जिसे हमने बनाया ?
बात बड़ी साफ़ है।
या तो दोनों ईश्वर झूठे हैं या दोनों सच्चे हैं। या तो दोनों हमने बनाए हैं या दोनों ख़ुद बने हैं।
या तो दोनों ख़ुद बने हैं या दोनों किसी चालू आदमी की बदमाशी हैं।
या तो दोनों हैं या कोई भी नहीं है।
अब क्या कहते हो ?
-संजय ग्रोवर
27-02-2016