Showing posts with label रट्टू. Show all posts
Showing posts with label रट्टू. Show all posts

Wednesday, 27 January 2016

निरपेक्ष

लघुकथा

बंदूक, तलवार, भाला, तोप, तमंचा, बम, पत्थर, थप्पड़, घूंसा, ग़ाली आदि-आदि सब एक-दूसरे को कोई नुकसान पहुंचाए बिना मिल-जुलकर रहते थे।

क्योंकि सबके सब हथियारनिरपेक्ष थे।

हां, जब कोई अकेला, शांतिप्रिय, एकांतप्रिय, स्वतंत्र और मौलिक इंसान उनके सामने पड़ जाता तो वे मिल-जुलकर उसका कचूमर निकाल देते थे।

-संजय ग्रोवर
28-01-2016