Saturday, 12 October 2019

भगवान और चुनौती

कहते हैं कि भगवान कुछ भी कर सकता है !
चलिए, ज़रा आज़माते हैं-
भगवान अगर है तो संविधान उसकी मर्ज़ी से ही बना होगा।
लेकिन असंवैधानिक काम जगह-जगह पर हो रहे हैं !
यहां जातिभेद होता है।
यहां रंगभेद होता है।
यहां स्त्री और पुरुष में भेद होता है।
सिर्फ़ दिल्ली में ही, वो भी पैसेवाले और पढ़े-लिखे लोगों ने, क़दम-क़दम पर असंवैधानिक कमरे बना रखे हैं ! दुकाने बना रखी हैं।
कई औरतें मजबूरन रखैलें और वेश्याएं बनी हुई हैं।
उनसे बलात्कार हो रहे हैं।
लोग मजबूरन पाखाना साफ़ कर रहें हैं, दूसरों की गंदगी ढो रहे हैं।
यूं तो ऐसी कई चीज़ें हो रही हैं मगर भगवान इतने सालों से चुपचाप देख रहा है !
क्या भगवान को संविधान नहीं पता ? क्या वह पढ़ा-लिखा नहीं है ?
हम भगवान को टाइम देते हैं कि आज रात तक वह यह सब बुराईयां ख़त्म कर दे।
असंवैधानिक कमरे गिरा दे।
लड़कियों को आज़ाद कर उनकी शादियां करा दे।
लोगों का पाखाना बंद कर दे या उसे ख़ुद साफ़ किया करे।
जातिभेद ख़त्म कर दे.......
काम तो बहुत हैं और दलाल कहते हैं कि भगवान पलक झपकते ही सब कुछ बदल सकता है।
हम भगवान को छूट देते हैं कि आज शाम तक वह इनमें से कोई पांच काम ही कर दे।
चलो हम यह भी छूट देते हैं कि कोई सा भी भगवान-साकार, निराकार, धार्मिक, धर्मनिरपेक्ष, कोई भी भगवान इस काम को करके दिखा दे। चलो हम यह भी छूट देते हैं कि सारे भगवान मिलकर इस काम को करके दिखा दें।
नहीं तो साबित हो जाएगा कि वह/वे नहीं है।
और उसको माननेवाले फ़िर अनाथ हो जाएंगे।

-संजय ग्रोवर
(on facebook today 12-10-2019)



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