Sunday 17 May 2015

महापुरुष हैं जहां...

अगर कोई समाज/देश/धर्म यह कहे कि दुनिया में सबसे ज़्यादा महापुरुष उसीके यहां पैदा हुए हैं मगर समाज की असलियत यह हो कि सबसे ज़्यादा बेईमानी, ग़रीबी, पिछड़ापन, अव्यवस्था, पाखंड, अंधविश्वास, जड़ता, रुढ़िवाद, यथास्थितिवाद, गंदगी, ऊंच-नीच-छोटा-बड़ावाद...सब उसी समाज में पाया जाता हो तो इस स्थिति से क्या नतीजे निकाले जाने चाहिए-

1. अच्छे और ज़्यादा महापुरुष पैदा करने के लिए समाज का ख़राब होना ज़रुरी है।

2. महापुरुष जो कहते हैं समाज उसका उल्टा अर्थ निकाल लेता है।

3. महापुरुष, महापुरुष नहीं हैं।

4. जहां ज़्यादा महापुरुष हों वहां समाज की हालत ऐसी ही हो जाती है।

5. उस समाज ने महापुरुष की व्याख्या ग़लत कर ली हैं

6. महापुरुष उस समाज को अपने जैसा बनाने में बुरी तरह असफ़ल हो गए हैं।

7. समाज असली महापुरुष पैदा करने में असफ़ल हो गया है।

8. 1+1+1+1+1+1+1+1+1+1=0


9. किसीको किसीके जैसा होने की ज़रुरत नहीं है, आदमी को अपने रास्ते और आदर्श ख़ुद निर्मित करने चाहिएं।

-संजय ग्रोवर
17-06-2014

(अपना एक फ़ेसबुक-स्टेटस)




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