ईश्वर को सिद्ध करने में एक वाक्य आलू और पनीर की तरह काम आता है। यह चमत्कारी वाक्य आसानी से कहीं भी घुसेड़ा जा सकता है।
एक आदमी सड़क पर निकले और जाकर किसी गाड़ी से टकरा जाए तो कम-अज़-कम चार संभावनाएं हैं-
1. आदमी गाड़ी से टकराकर मर जाए-
आप आराम से कह सकते हैं-‘ईश्वर की यही मर्ज़ी थी।’
2. आदमी गाड़ी से टकरा जाए और बच जाए-
आप आराम से कह सकते हैं-‘ईश्वर की यही मर्ज़ी थी।’
3. आदमी गाड़ी से टकराकर बच तो जाए मगर उसकी टांग टूट जाए-
आप आराम से कह सकते हैं-‘ईश्वर की यही मर्ज़ी थी।’
4. यह संभावना थोड़ी अजीब है, मगर संभव है कि आदमी तगड़ा हो कि गाड़ी को नुकसान पहु्रंचा दे-
आप आराम से कह सकते हैं-‘ईश्वर की यही मर्ज़ी थी।’
इसी तरह सुबह आप मलत्याग को बैठें मगर असफ़ल हो जाएं-
कह सकते हैं कि-‘ईश्वर की यही मर्ज़ी थी।’
आप सफ़ल होकर फ्रेश मूड में निकलें-
कह सकते हैं कि-‘ईश्वर की यही मर्ज़ी थी।’
इसी तरह सुबह आप मलत्याग को बैठें मगर असफ़ल हो जाएं-
कह सकते हैं कि-‘ईश्वर की यही मर्ज़ी थी।’
आप सफ़ल होकर फ्रेश मूड में निकलें-
कह सकते हैं कि-‘ईश्वर की यही मर्ज़ी थी।’
तो निश्चय ही यह चमत्कारी वाक्य है और यहां तक किसी तरह बर्दाश्त किया जा सकता है। मगर तब
क्या हो जब कोई किसीको गाड़ी के नीचे धक्का दे दे और कहे कि ईश्वर की यही मर्ज़ी थी !
कोई बलात् किसीको शारीरिक नुकसान पहुचाए और कह दे कि ईश्वर की यही मर्ज़ी थी !!
कोई किसीकी हत्या कर/करवा दे और घोषणा करे/करवाए कि ईश्वर की यही मर्ज़ी थी !?
-संजय ग्रोवर
(फ़ेसबुक, नास्तिक द अथीस्ट ग्रुप)
23 August 2013
एक आदमी सड़क पर निकले और जाकर किसी गाड़ी से टकरा जाए तो कम-अज़-कम चार संभावनाएं हैं-
1. आदमी गाड़ी से टकराकर मर जाए-
आप आराम से कह सकते हैं-‘ईश्वर की यही मर्ज़ी थी।’
2. आदमी गाड़ी से टकरा जाए और बच जाए-
आप आराम से कह सकते हैं-‘ईश्वर की यही मर्ज़ी थी।’
3. आदमी गाड़ी से टकराकर बच तो जाए मगर उसकी टांग टूट जाए-
आप आराम से कह सकते हैं-‘ईश्वर की यही मर्ज़ी थी।’
4. यह संभावना थोड़ी अजीब है, मगर संभव है कि आदमी तगड़ा हो कि गाड़ी को नुकसान पहु्रंचा दे-
आप आराम से कह सकते हैं-‘ईश्वर की यही मर्ज़ी थी।’
इसी तरह सुबह आप मलत्याग को बैठें मगर असफ़ल हो जाएं-
कह सकते हैं कि-‘ईश्वर की यही मर्ज़ी थी।’
आप सफ़ल होकर फ्रेश मूड में निकलें-
कह सकते हैं कि-‘ईश्वर की यही मर्ज़ी थी।’
इसी तरह सुबह आप मलत्याग को बैठें मगर असफ़ल हो जाएं-
कह सकते हैं कि-‘ईश्वर की यही मर्ज़ी थी।’
आप सफ़ल होकर फ्रेश मूड में निकलें-
कह सकते हैं कि-‘ईश्वर की यही मर्ज़ी थी।’
तो निश्चय ही यह चमत्कारी वाक्य है और यहां तक किसी तरह बर्दाश्त किया जा सकता है। मगर तब
क्या हो जब कोई किसीको गाड़ी के नीचे धक्का दे दे और कहे कि ईश्वर की यही मर्ज़ी थी !
कोई बलात् किसीको शारीरिक नुकसान पहुचाए और कह दे कि ईश्वर की यही मर्ज़ी थी !!
कोई किसीकी हत्या कर/करवा दे और घोषणा करे/करवाए कि ईश्वर की यही मर्ज़ी थी !?
-संजय ग्रोवर
(फ़ेसबुक, नास्तिक द अथीस्ट ग्रुप)
23 August 2013
No comments:
Post a Comment