लघुव्यंग्य
सुना है जिस दिन भी दो(या तीन-चार-पांच भी हो सकते हैं) भगवान/ख़ुदा/गॉड आपस में लड़ पड़ते हैं, बहुत-से भक्तों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है।
इसलिए कभी भी दो (तथाकथित) ईश्वरों/ख़ुदाओं/गॉडों को आमने-सामने न पड़ने दें वरना वही होने की पूरी संभावना है जो होता आया है-कोई कहा-सुनी, कोई झगड़ा-फ़साद, कोई मार-पीट, कोई लफ़ड़ा-दंगा.....
हालांकि यह बहुत ही मुश्क़िल काम है क्योंकि तथाकथित माननेवालों का कहना है कि तथाकथित ईश्वर/ख़ुदा/गॉड इत्यादि-इत्यादि हर कहीं मौजूद हैं, ज़र्रे-ज़र्रे और आदमी-आदमी तक में मौजूद है....
इंसान बचाए इन माननेवालों से और इनके (तथाकथित) ईश्वरों/ख़ुदाओं/गॉडों से....हमें भी बचाए और इन्हें भी बचाए...
-संजय ग्रोवर
26-11-2015
सुना है जिस दिन भी दो(या तीन-चार-पांच भी हो सकते हैं) भगवान/ख़ुदा/गॉड आपस में लड़ पड़ते हैं, बहुत-से भक्तों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है।
इसलिए कभी भी दो (तथाकथित) ईश्वरों/ख़ुदाओं/गॉडों को आमने-सामने न पड़ने दें वरना वही होने की पूरी संभावना है जो होता आया है-कोई कहा-सुनी, कोई झगड़ा-फ़साद, कोई मार-पीट, कोई लफ़ड़ा-दंगा.....
हालांकि यह बहुत ही मुश्क़िल काम है क्योंकि तथाकथित माननेवालों का कहना है कि तथाकथित ईश्वर/ख़ुदा/गॉड इत्यादि-इत्यादि हर कहीं मौजूद हैं, ज़र्रे-ज़र्रे और आदमी-आदमी तक में मौजूद है....
इंसान बचाए इन माननेवालों से और इनके (तथाकथित) ईश्वरों/ख़ुदाओं/गॉडों से....हमें भी बचाए और इन्हें भी बचाए...
-संजय ग्रोवर
26-11-2015
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