ईश्वर के होने या न होने पर आपको इंटरनेट पर ख़ूब विचार और बहसें दिखाई देंगे। प्रिंट मीडिया में भी मुख्यधारा के पत्र-पत्रिकाएं न सही, मगर बहुत-से अन्य पत्र-पत्रिकाएं इसपर विचार चलाते रहे हैं।
मगर भारतीय फ़िल्में और इलैक्ट्रॉनिक मीडिया !?
ज़ाहिर है कि इस मामले में बुरी तरह से पिछड़े हुए हैं। इनकी उपलब्धि शून्य है।
जबकि ये सबसे ज़्यादा समर्थ और सम्पन्न हैं !!
क्या वजह हो सकती है ?
-संजय ग्रोवर
(July 14, 2014 on facebook)
मगर भारतीय फ़िल्में और इलैक्ट्रॉनिक मीडिया !?
ज़ाहिर है कि इस मामले में बुरी तरह से पिछड़े हुए हैं। इनकी उपलब्धि शून्य है।
जबकि ये सबसे ज़्यादा समर्थ और सम्पन्न हैं !!
क्या वजह हो सकती है ?
-संजय ग्रोवर
(July 14, 2014 on facebook)
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