भारतीय ‘प्रगतिशीलों’ का पसंदीदा संगठन आर एस एस एस-2
मुझे इस बात पर न तो कोई गर्व है न शर्म कि आर एस एस एस से मेरा कभी कोई किसी भी तरह का संबंध नहीं रहा। और मेरे लिए यह बात भी किसी झटके की तरह नहीं है कि कभी मेरे प्रिय रहे ऐंकर/न्यूज़रीडर विनोद दुआ का बचपन में शाखाओं में न सिर्फ़ आना-जाना रहा बल्कि उन्होंने आर एस एस एस के संस्कारों की तारीफ़ भी की है (4ः18 पर देखिए)।
अन्य संदर्भों में मुझे विनोद दुआ साहब के दो और वीडियो भी उल्लेखनीय लगे जिनका ज़िक्र आगे कभी करुंगा।
-संजय ग्रोवर
13-07-2017
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